आरोप पत्र में 5,500 पन्ने हैं जिसमें 298 गवाहों, 290 दस्तावेजों और 45 भौतिक वस्तुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए हैं, तथा पेपर लीक करने वाले गिरोह के काम करने के तरीके का विस्तृत विवरण दिया गया है।
Press Trust of India | October 7, 2024 | 10:37 PM IST
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 144 ऐसे अभ्यर्थियों की पहचान की है जिन्होंने नीट यूजी 2024 परीक्षा से कुछ घंटे पहले लीक और हल प्रश्नपत्र पाने के लिए पैसे दिए थे। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने पिछले सप्ताह दाखिल अपने तीसरे आरोप पत्र में पंकज कुमार का नाम शामिल किया है, जिसने झारखंड के हजारीबाग स्थित ओएसिस स्कूल के प्राचार्य अहसानुल हक और उप प्राचार्य मोहम्मद इम्तियाज आलम के साथ मिलकर स्कूल से प्रश्नपत्र चुराए थे।
अधिकारियों ने बताया कि अपराध कथित तौर पर उस समय हुआ जब 5 मई की सुबह 8 बजे के बाद, बैंक वॉल्ट से प्रश्नपत्र लेकर ट्रंक स्कूल पहुंचे थे। हक हजारीबाग के शहर समन्वयक थे और आलम को नीट यूजी 2024 परीक्षा आयोजित करने के लिए एनटीए ने केंद्र अधीक्षक नियुक्त किया था।
आरोप पत्र में 5,500 पन्ने हैं जिसमें 298 गवाहों, 290 दस्तावेजों और 45 भौतिक वस्तुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए हैं, तथा पेपर लीक करने वाले गिरोह के काम करने के तरीके का विस्तृत विवरण दिया गया है। उन्होंने बताया कि हक और आलम ने जमशेदपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 2017 बैच के सिविल इंजीनियर कुमार को कथित तौर पर उस कमरे में प्रवेश करने की इजाजत दी, जहां ट्रंक रखे हुए थे।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि कुमार ने प्रश्नपत्र वाले ट्रंक के कब्जों से छेड़छाड़ की, एक प्रश्नपत्र निकाला और इसके सभी पन्नों की तस्वीर ली। एजेंसी के अनुसार उसने प्रश्नपत्र वापस रखकर ट्रंक को फिर से सील कर दिया और कंट्रोल रूप से बाहर आ गया।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया, "पंकज ने ट्रंक खोलने और सील करने के लिए एक आधुनिक टूल किट का इस्तेमाल किया, जिसे सीबीआई ने उसके घर से जब्त किया। स्कूल से निकलने के बाद, उसने प्रश्नपत्र की तस्वीरें अपने साथी सुरेंद्र कुमार शर्मा को भेजीं, जो उस समय हजारीबाग के राज गेस्ट हाउस में था।"
मेडिकल के नौ छात्रों-करण जैन, कुमार शानू, राहुल आनंद, चंदन सिंह, सुरभि कुमारी, दीपेंद्र शर्मा, रौनक राज, संदीप कुमार और अमित कुमार ने हजारीबाग के गेस्ट हाउस में इन प्रश्नपत्रों को हल किया। इन हल प्रश्नपत्रों को कथित तौर पर स्कैन करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से अलग-अलग स्थानों पर भेजा गया।
इसके बाद गिरोहों ने उन्हें प्राप्त किया, प्रिंट किया और उन उम्मीदवारों को सौंप दिया, जिन्होंने परीक्षा शुरू होने से कुछ घंटे पहले लीक और हल किए गए पेपर पाने के लिए भारी रकम का भुगतान किया था। प्रवक्ता ने कहा, “केवल उन उम्मीदवारों को इन स्थानों में प्रवेश करने की अनुमति थी, जिन्होंने अग्रिम भुगतान किया था।
उम्मीदवारों को बाद में दोपहर 12:15 बजे के बाद अपने परीक्षा केंद्रों के लिए जाने की अनुमति दी गई, लेकिन मुद्रित प्रतियां साथ ले जाने पर रोक लगा दी गई।” अभ्यर्थियों के चले जाने के बाद गिरोह सदस्यों ने हल किए गए प्रश्नपत्रों को जला दिया।
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सीबीआई ने आरोप लगाया है कि जाने से पहले उम्मीदवारों की तलाशी ली गई थी और उन्हें इन स्थानों पर अपने मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी। पटना के एक ऐसे ही छात्रावास में आधे जले हुए पेपर का एक टुकड़ा बरामद किया गया, जहां ये उम्मीदवार रह रहे थे।
सीबीआई ने बताया कि उसने पेपर लीक से जुड़े 144 उम्मीदवारों की पहचान की है, और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है। एजेंसी ने यह भी बताया कि 21 मोबाइल फोन, जो मुख्य आरोपियों ने इस्तेमाल किए थे।
सीबीआई ने गोताखोरों की मदद से विभिन्न जलाशयों से बरामद किए हैं। केंद्रीय एजेंसी ने मुख्य साजिशकर्ताओं और प्रश्नपत्र हल करने वालों सहित 49 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 40 के नाम अब तक दाखिल 3 आरोप पत्रों में शामिल हैं।