UPSC Pooja Khedkar Case: यूपीएससी धोखाधड़ी मामले में दिल्ली एचसी ने पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत की खारिज

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि यह संवैधानिक संस्था के साथ-साथ समाज के साथ धोखाधड़ी का एक बेहतरीन मामला है।

खेडकर पर आरक्षण लाभ के लिए सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। (इमेज-इंस्टाग्राम/ dr_pujamdk_ias)
खेडकर पर आरक्षण लाभ के लिए सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। (इमेज-इंस्टाग्राम/ dr_pujamdk_ias)

Press Trust of India | December 23, 2024 | 04:21 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार यानी 23 दिसंबर, 2024 को पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) में कथित धोखाधड़ी और ओबीसी तथा दिव्यांग कोटे का गलत लाभ उठाने के लिए उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। एचसी ने खेडकर के गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम सुरक्षा भी रद्द कर दी है।

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा, “अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है। गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण रद्द किया जाता है।” न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि प्रथम दृष्टया पूजा खेडकर के खिलाफ मजबूत मामला बनता है और साजिश का पता लगाने के लिए जांच की जरूरत है।

जज ने कहा कि यह संवैधानिक संस्था के साथ-साथ समाज के साथ धोखाधड़ी का एक बेहतरीन मामला है। खेडकर पर आरक्षण लाभ पाने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है।

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दिल्ली पुलिस के वकील और शिकायतकर्ता संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के वकील ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत की याचिका का विरोध किया। यूपीएससी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक और वकील वर्धमान कौशिक ने किया।

पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर ने अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया है। यूपीएससी ने जुलाई में खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें फर्जी पहचान के आधार पर सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल था।

वहीं, दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की। इस वर्ष 31 जुलाई को यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और आयोग की सभी भविष्य की परीक्षाओं और चयनों में भाग लेने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था।

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