भारत में एक ओर जहां टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एआई इंजीनियरों की मांग लगातार बढ़ रही है। वहीं, दूसरी ओर पिछले तीन वर्षों में सीएसई में छात्रों के नामांकन में करीब 38% की वृद्धि हुई है।
Abhay Pratap Singh | September 25, 2024 | 03:20 PM IST
नई दिल्ली: इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लगातार प्रगति करने के साथ ही भारत लंबे समय से इंजीनियरिंग प्रतिभाओं का केंद्र रहा है। भारत में हर साल करीब लाखों की संख्या में स्नातक इंजीनियर तैयार हो रहे हैं। देश व विश्व में तकनीकि प्रगति के साथ ही टेक्नोलॉजी से जुड़े इंजीनियरों की मांग भी बढ़ रही है। जिसके चलते कई इंजीनियरिंग विषय करियर की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं।
वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का क्षेत्र काफी व्यापक हो रहा है। जिस वजह से टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत के साथ ही विश्व भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियरों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है जिसके तहत मशीनों में मानव जैसी तर्कशक्ति और समस्या-समाधान क्षमताएं विकसित की जाती हैं।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा इसी साल जारी ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (AISHE) की रिपोर्ट के अनुसार, इंजीनियरिंग की टॉप-5 ब्रांच में कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को शामिल किया गया है। बता दें, पिछले तीन वर्षों में कंप्यूटर इंजीनियरिंग (CE) विषय में छात्रों का नामांकन 38% के करीब बढ़ा है।
एआईएसएचई द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया कि, इंजीनियरिंग की टॉप 5 ब्रांच में से कंप्यूटर इंजीनियरिंग नामांकन में 38.82 प्रतिशत और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग नामांकन में 1.44 फीसदी वृद्धि देगी गई है। इसके अतिरिक्त, मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में 15.45 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में 0.81 प्रतिशत और सिविल इंजीनियरिंग में 3.31 प्रतिशत छात्रों के नामांकन में गिरावट देखी गई।
भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले छात्रों के लिए शीर्ष 5 इंजीनियरिंग क्षेत्रों में नैनोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियरिंग, रेडियो फ्रीक्वेंसी इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियर और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विषयों को शामिल किया गया है। इसके अलावा, बायोकेमिकल इंजीनियरिंग और फिजिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों के पास भी टेक्नोलॉजी की दुनिया में बेहतर भविष्य बनाने का विकल्प है।
भारत में टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग फील्ड में टॉप 5 इंजीनियरिंग कोर्स नीचे दिए गए हैं:
नैनोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग में बहुत छोटे पैमाने पर सामग्रियों का अध्ययन, विकास और सुधार करना होता है, जिससे उन्हें उपयोगी और प्रभावी सामग्रियों, संरचनाओं, उपकरणों में बदला जा सके। नैनोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग को नैनोइंजीनियरिंग के रूप में जाना जाता है। नैनोटेक्नोलॉजी में करियर का क्षेत्र काफी बड़ा है। नैनोटेक्नोलॉजी द्वारा लाई गई क्रांति आईटी और इंटरनेट से कहीं अधिक व्यापक होगी। भारत में कई सरकारी और निजी संस्थान नैनोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियर एआई और मशीन लर्निंग तकनीकों का इस्तेमाल करके सिस्टम और एप्लीकेशन विकसित करते हैं। भारत में बीते कुछ समय से एआई का क्षेत्र काफी बढ़ रहा है, जिससे इस फील्ड में एआई इंजीनियरों की मांग लगातार बढ़ रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस करियर में एआई शोधकर्ता, मशीन लर्निंग इंजीनियर और डेटा विश्लेषक जैसी भूमिकाएं शामिल हैं।
रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) इंजीनियर सेल फोन से लेकर रेडियो स्टेशनों तक रेडियो तरंगों का उपयोग करने वाली तकनीक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ काम करता है। आरएफ इंजीनियरिंग में करियर दूरसंचार, एयरोस्पेस, रक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उद्योगों में फैले हुए हैं, जहां पेशेवर संचार प्रणालियों, एंटीना डिजाइन और रडार तकनीक में नवाचारों को आगे बढ़ाते हैं।
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग भारत में सबसे अधिक मांग वाले विषयों में से एक है। तकनीकी उद्योग के निरंतर विकास के साथ ही सीएसई स्नातकों को प्रोग्रामिंग, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डाटा साइंटिस्ट, बिजनेस एनालिस्ट और नेटवर्किंग में उनके कौशल के लिए अत्यधिक महत्व दिया जाता है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) के भारत में लगभग 6,015 कॉलेज हैं।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग भारत में सबसे लोकप्रिय इंजीनियरिंग कोर्स में से एक है। मैकेनिकल इंजीनियर विनिर्माण, ऑटोमोटिव और कृषि जैसे उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले यांत्रिक उपकरणों के डिजाइन, विकास और परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र ऑटोमोटिव और मैन्युफैक्चरिंग वर्तमान में विस्तार के लिए नई तकनीकों का लाभ उठा रहे हैं, जिससे देश व विदेश में मैकेनिकल इंजीनियर्स की मांग बढ़ रही है।