राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने डीईओ को ‘जीवन की बहार’, ‘चिट्टी-एक कुत्ता और उसका जंगल फार्म’, ‘अदृश्य लोग - उम्मीद और साहस की कहानियां’ और ‘जीवन की बहार’ की सभी प्रतियां वापस मंगाने का निर्देश दिया है।
Press Trust of India | October 29, 2024 | 07:05 PM IST
नई दिल्ली: राजस्थान सरकार ने चार पाठ्य पुस्तकों को वापस मंगाने का आदेश दिया है, जिनमें से एक किताब में 2002 के गोधरा कांड और उसके बाद की घटनाओं का जिक्र है। यह आदेश इन किताबों के सरकारी स्कूलों में बांटे जाने के एक महीने बाद दिया गया है।
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने 21 अक्टूबर को जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को निर्देश दिया कि वे ‘जीवन की बहार’ और ‘चिट्टी-एक कुत्ता और उसका जंगल फार्म’ (कक्षा नौ से 12 के लिए) तथा ‘अदृश्य लोग - उम्मीद और साहस की कहानियां’ के साथ-साथ ‘जीवन की बहार’ (कक्षा 11 और 12 के लिए) की सभी प्रतियां वापस मंगाना सुनिश्चित करें।
स्कूल के प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया गया है कि वे इन पाठ्य पुस्तकों को इकट्ठा करें और उन्हें खंड कार्यालयों में जमा करें। वापस मंगाने के इस नोटिस में ‘‘तकनीकी कमियों’’ का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि कागज और छपाई की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए ‘जीएसएम जांच’ की जाएगी। जीएसएम जांच आमतौर पर कागज की गुणवत्ता के लिए कराई जाती है।
चारों पुस्तकें 2023-24 शैक्षणिक सत्र के लिए पुस्तकालय अनुदान के तहत एक निजी संगठन द्वारा प्रकाशित की गई थीं। ‘अदृश्य लोग- उम्मीद और साहस की कहानियां’ में ‘नौ लम्बे साल’ नामक अध्याय में उल्लेख किया गया है कि गुजरात सरकार ने शुरू में दावा किया था कि गोधरा कांड में एक ट्रेन में लगी आग एक आतंकवादी साजिश का परिणाम थी और कहा कि यह उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय या विशेष अदालतों में साबित नहीं हुआ। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि तीन संदिग्धों ने बरी होने से पहले नौ साल जेल में बिताए।
अध्याय में आरोप लगाया गया है कि कारसेवकों पर हमले के बाद, ‘अंडरकवर’ पुलिस अधिकारियों ने एक झुग्गी बस्ती में छापा मारा और 14 युवकों को उनके परिवारों को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना गिरफ्तार कर लिया। इस अध्याय में बताया गया कि ट्रेन के डिब्बों में आग लगने की दुखद घटना के बाद शाम को गुजरात के कई जिलों में मुस्लिम पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ प्रतिशोधी हिंसा भड़क उठी।
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीका राम जूली ने कहा कि राज्य सरकार को ‘‘जीएसएम जांच’’ के बहाने सरकारी स्कूलों को पुस्तकालय अनुदान में आवंटित कुछ पुस्तकों को वापस बुलाने के पीछे के वास्तविक कारणों का खुलासा करना चाहिए। इन पुस्तकों में एकलव्य फाउंडेशन की पुस्तक ‘अदृश्य लोग - उम्मीद और साहस की कहानियां’ भी शामिल है। जूली ने कहा कि इस पुस्तक के लेखक मानवाधिकार कार्यकर्ता और प्रसिद्ध लेखक हर्ष मंदर हैं।
जूली ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी को पुस्तकें वापस मंगवाने के असली कारण का खुलासा करना चाहिए क्योंकि इस पुस्तक में सांप्रदायिक हिंसा पर गहरी चोट की गई है। यह पुस्तक उन लापता बच्चों और उनके परिवारों की वेदना का मार्मिक चित्रण करती है जो कि सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या इस पुस्तक और दूसरी अन्य पुस्तकों को दिल्ली से आयी किसी पर्ची और वहां से मिली फटकार के दबाव में वापस लिया गया है? इसके असली कारण का सरकार को खुलासा करना चाहिए।’’