Sanjiv Khanna New CJI: जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा, केवल 6 महीने यानी 13 मई 2025 तक होगा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में जस्टिस संजीव खन्ना को पद की शपथ दिलाई। (इमेज-X/@CiteCase)राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में जस्टिस संजीव खन्ना को पद की शपथ दिलाई। (इमेज-X/@CiteCase)

Santosh Kumar | November 11, 2024 | 11:07 AM IST

नई दिल्ली: जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार (11 नवंबर) को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना, जो चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करने और अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे कई ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हिस्सा रहे हैं, वह केवल 6 महीने के लिए भारत के सीजेआई होंगे।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा होगा, जो 13 मई 2025 तक रहेगा। केंद्र ने 16 अक्टूबर को तत्कालीन सीजेआई चंद्रचूड़ की सिफारिश पर 24 अक्टूबर को उनकी (संजीव खन्ना) नियुक्ति को अधिसूचित किया था।

Background wave

Sanjiv Khanna New CJI: दिल्ली से की करियर की शुरुआत

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, उनकी प्रोफ़ाइल सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पोस्ट कर दी गई। न्यायमूर्ति खन्ना ने 1983 में दिल्ली में एक वकील के रूप में अपना कानूनी करियर शुरू किया और दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की।

खन्ना के पिता देव राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और उनके चाचा हंस राज खन्ना सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे, जिन्होंने आपातकाल के दौरान मुख्य न्यायाधीश के पद से हटाये जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था।

Who is Sanjiv Khanna: महत्वपूर्ण फैसलों में रहे शामिल

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग 6 साल के कार्यकाल में जस्टिस खन्ना ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। वे 5 न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने इस साल फरवरी में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था।

2023 में, न्यायमूर्ति खन्ना उस पीठ का हिस्सा थे जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा। एक ऐतिहासिक फैसले में, उन्होंने लिखा कि सर्वोच्च न्यायालय के पास अनुच्छेद 142 के तहत “विवाह के अपरिवर्तनीय टूटने” पर सीधे तलाक देने की शक्ति है।

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