आईआईटी मद्रास के बाहर के शोधकर्ताओं के लिए भी खुला यह पाठ्यक्रम भारत सरकार की हाल ही में घोषित ‘BioE3’ नीति के मद्देनजर लाया गया है।
Abhay Pratap Singh | October 15, 2024 | 01:20 PM IST
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) ने ‘उच्च मूल्य वाले फाइटोकेमिकल्स के सतत बायोमैन्युफैक्चरिंग’ पर एक पाठ्यक्रम पेश करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ टूर्स, फ्रांस के साथ साझेदारी की है। यह पाठ्यक्रम अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स’ (GIAN) कार्यक्रम के माध्यम से पेश किया जा रहा है।
बायोमैन्युफैक्चरिंग के लिए पंजीकरण विंडो 22 नवंबर 2024 तक खुली रहेगी। पाठ्यक्रम 2 से 14 दिसंबर 2024 तक पढ़ाया जाएगा। प्लांट बायोटेक्नोलॉजी/बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग/बायोटेक्नोलॉजी में शोधकर्ता, उद्योग पेशेवर, छात्र (बीटेक, एमटेक, एमएससी, पीएचडी) और मान्यता प्राप्त संस्थानों के संकाय आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों को पादप कोशिका और माइक्रोबियल प्रौद्योगिकी एवं किण्वन का ज्ञान हो।
यह पाठ्यक्रम पौधों और सूक्ष्मजीवी जैव-कारखानों का उपयोग करके उच्च मूल्य वाले पौधों से प्राप्त प्राकृतिक उत्पादों के टिकाऊ जैव-विनिर्माण से संबंधित है, जो विभिन्न व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए फाइटोकेमिकल्स की बढ़ती बाजार मांग को पूरा करते हुए प्रकृति का संरक्षण भी कर सकता है। सस्टेनेबल बायोमैन्युफैक्चरिंग कोर्स में कुल 30 सीटें उपलब्ध हैं।
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यह पाठ्यक्रम भारत सरकार की हाल ही में घोषित ‘BioE3’ नीति के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य उच्च प्रदर्शन वाले जैव-निर्माण के साथ सतत विकास के लिए जैव-उत्पादों के बड़े पैमाने पर विनिर्माण को बढ़ावा देना और सुविधा प्रदान करना है। यह कोर्स आईआईटी मद्रास के बाहर के लोगों के लिए भी खुला है।
बायोमैन्युफैक्चरिंग कोर्स की पेशकश के लिए फ्रेंच यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी के दौरान आईआईटी मद्रास की प्रोफेसर स्मिता श्रीवास्तव और फ्रांस के टूर्स विश्वविद्यालय के प्रो नथाली गिग्लियोली-गुइवार्च मौजूद रहें। कैंडिडेट संस्थान की ऑफिशियल वेबसाइट https://www.iitm.ac.in/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए https://shorturl.at/23b9H पर विजिट करें।
आईआईटी मद्रास बायोइनक्यूबेटर की संकाय प्रभारी प्रो स्मिता श्रीवास्तव ने कहा, “राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के लिए ऐसी टिकाऊ प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए उभरते शोधकर्ताओं, उद्योग पेशेवरों और उद्यमियों के बीच जागरूकता और रुचि पैदा करने के लिए ऐसे लघु पाठ्यक्रम बेहद उपयोगी हो सकते हैं।”