महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया था और उन्होंने ‘अहिंसा’ रूपी शक्तिशाली हथियार का इस्तेमाल किया।
Abhay Pratap Singh | October 1, 2024 | 05:02 PM IST
नई दिल्ली: भारत में हर साल 2 अक्टूबर को देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्मतिथि पर गांधी जयंती मनाई जाती है। इस साल भारत बापू की 155वीं जयंती मना रहा है। भारत में गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है, जबकि दुनिया भर में इसे ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनकी माता का नाम पुतलीबाई गांधी और पिता का नाम करमचंद गांधी था। इस दिन हम गांधी के ‘अहिंसा’ और ‘सत्य’ को बनाए रखने के संदेश को याद करते हैं तथा उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प भी करते हैं।
गांधी जयंती 2024 के अवसर पर देश भर के स्कूलों, कॉलेज, सरकारी एजेंसियां सहित अन्य संस्थानों में विभिन्न तरह के समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान, छात्रों द्वारा गांधीजी के नैतिक मूल्यों और अहिंसा सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में भाषण और वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। 1948 में महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद गांधी जयंती राष्ट्रीय अवकाश बन गई।
महात्मा गांधी की अगुवाई में स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के कारण सन 1947 में भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की थी। गांधी एक प्रतिभाशाली नेता, दार्शनिक, समाज सुधारक और भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। गांधी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सविनय अवज्ञा और सत्याग्रह जैसे अहिंसक तरीकों का इस्तेमाल किया। महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक नेता के रूप में भी जाना जाता है।
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असाधारण व्यक्तित्व के धनी और सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने वाले बापू का पसंदीदा गीत “रघुपति राघव राजा राम” था। हर साल दिल्ली के राजघाट पर हम गांधी जयंती मनाते हैं। गांधी जयंती के अवसर पर देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित देश के तमाम नेता उनकी समाधि पर एकत्रित होकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
महात्मा गांधी ने 1888 में यूनाइटेड किंगडम में लॉ स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर वकालत के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। भारत लौटने पर उन्होंने ब्रिटिश उत्पीड़न से देश को मुक्त कराने के अपने प्रयास में अहिंसा का पालन किया। भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गांधीजी ने खादी की धोती पहनी थी।