जम्मू कश्मीर की नई शिक्षा मंत्री सकीना इटू ने कहा कि सत्र की बहाली पर निर्णय लेने से पहले सरकार हितधारकों से सुझाव मांगेगी।
Press Trust of India | October 24, 2024 | 01:31 PM IST
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में निर्वाचित सरकार के गठन के बाद केंद्र शासित प्रदेश के स्कूलों में शैक्षणिक सत्र को परंपरा के अनुसार नवंबर-दिसंबर की अवधि में बहाल करने की मांग तेज हो गई है। अभिभावकों और निजी स्कूल मालिकों ने नई प्रणाली को समय और ऊर्जा की बर्बादी बताया है।
जम्मू कश्मीर सरकार ने 2022 में शैक्षणिक सत्र की शुरूआत नवंबर के बजाय मार्च में करने का फैसला किया था। इस दौरान सरकार ने कहा था कि इस कदम से एक समान शैक्षणिक कैलेंडर सुनिश्चित होगा जो राष्ट्रीय शैक्षणिक कैलेंडर के साथ चलेगा।
हालांकि, जम्मू कश्मीर सरकार के इस निर्णय की विभिन्न वर्गों, खासकर बच्चों के अभिभावकों ने आलोचना की थी। उनका कहना था कि नया सत्र समय की बर्बादी है। उपराज्यपाल प्रशासन ने बदलाव जारी रखा और शैक्षणिक सत्र को मार्च में स्थानांतरित कर दिया गया।
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जम्मू कश्मीर की नई शिक्षा मंत्री सकीना इटू के कार्यभार संभालने के बाद पारंपरिक सत्र को बहाल करने की मांग तेज हो गई है। मंत्री ने कहा कि सत्र की बहाली पर निर्णय लेने से पहले सरकार हितधारकों से सुझाव मांगेगी।
शैक्षणिक कैलेंडर की समीक्षा और पारंपरिक सत्र की बहाली की मांग को विभिन्न हलकों से समर्थन मिला है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने भी साल के अंत में सत्र का समर्थन किया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘ज्यादातर दाखिले जून से शुरू होते हैं। हमारे छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं और दाखिले की तैयारी के लिए छह महीने अतिरिक्त मिलेंगे।’’ शिक्षा मंत्री सकीना इटू ने कहा कि विभाग अगले शैक्षणिक वर्ष से नवंबर-दिसंबर शैक्षणिक सत्र बहाल करेगा।